Saturday, February 09, 2013

चम्पावत मंदिर, शहर


बालेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण चांद शासन ने करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुंदर है। ऐसा माना जाता है कि बालेश्रवर मंदिर का निर्माण 10-12 ईसवीं शताब्दी में हुआ था।

नागनाथ मंदिर
इस मंदिर में की गई वास्तुकला काफी खूबसूरत है। यह कुंमाऊं के पुराने मंदिरों में से एक है।

मीठा-रीठा साहिब
यह सिक्खों के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। यह स्थान चम्पावत से 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि सिक्खों के प्रथम गुरू, गुरू नानक जी यहां पर आए थे। यह गुरूद्वारा जहां पर स्थित है वहां लोदिया और रतिया नदियों का संगम होता है। गुरूद्वार परिसर पर रीठे के कई वृक्ष लगे हुए है। ऐसा माना जाता है कि गुरू के स्पर्श से रीठा मीठा हो जाता है। गुरूद्वारा के साथ में ही धीरनाथ मंदिर भी है। बैसाख पूर्णिमा के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। चम्पावत टुनिया की सबसे अच्हि जगह है!

पूर्णनागिरी मंदिर
यह पवित्र मंदिर पूर्णनागिरी पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर तंकपुर से 20 किलोमीटर तथा चम्पावत से 92 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पूरे देश से काफी संख्या में भक्तगण इस मंदिर में आते हैं। इस मंदिर में सबसे अधिक भीड़ चैत्र नवरात्रों ( मार्च-अर्प्रैल) में होती है। यहां से काली नदी भी प्रवाहित होती है जिसे शारदा के नाम से जाना जाता है।

श्यामलातल
यह जगह चम्पावत से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके साथ ही यह स्थान स्वामी विवेकानन्द आश्रम के लिए भी प्रसिद्ध है जो कि खूबसूरत श्यामातल झील के तट पर स्थित है। इस झील का पानी नीले रंग का है। यह झील 1.5 वर्ग किलोमीटर तक फैली हुई है। इसके अलावा यहां लगने वाला झूला मेला भी काफी प्रसिद्ध है।

पंचेश्रवर
यह स्थान नेपाल सीमा के समीप स्थित है। इस जगह पर काली और सरयू नदियां आपस में मिलती है। पंचेश्रवर भगवान शिव के मंदिर के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। काफी संख्या में भक्तगण यहां लगने वाले मेलों के दौरान आते हैं। और इन नदियों में डूबकी लगाते हैं।
देवीधुरा
यह जगह चम्पावत से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह खूबसूरत जगह वराही मंदिर के नाम से जानी जाती है। यहां बगवाल के अवसर पर दो समूह आपस में एक दूसरे पर पत्थर फेकते हैं। यह अनोखी परम्परा रक्षा बन्धन के अवसर की जाती है।

लोहाघाट
यह ऐतिहासिक शहर चम्पावत से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान लोहावती नदी के तट पर स्थित है। यह जगह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा यह स्थान गर्मियों के दौरान यहां लगने वाले बुरास के फूलों के लिए भी प्रसिद्ध है।

अब्बोट माउंट
अब्बोट माउंट बहुत ही खूबसूरत जगह है। इस स्थान पर ब्रिटिश काल के कई बंगले मौजूद है। यह खूबसूरत जगह लोहाघाट से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यह जगह 2001 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

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