श्वेताश्वर उपनिषद में शिव को उनके विशिष्ट गुणों के कारण महादेव कहा गया है. हमारे वेदों में प्रकृति तत्वों को जीवन का मूल तत्व माना गया है और अग्नि, जल एवं वायु में देवत्व की प्रतिष्ठा की गई है. वहां भी शिव को रुद्र नाम से प्रतिष्ठापित किया गया है. वैदिक काल से पूर्व भी शिव का अस्तित्व रुद्र रूप से था. शिव कालातीत देवता हैं. वह सदैव लोकमंगल के लिए गतिशील देवता के रूप में जाने जाते हैं. वह किसी विशेष समय अथवा प्रयोजन के लिए अवतार नहीं धारण करते. शिव ही एकमात्र देवता हैं, जिन्होंने सदैव मृत्यु पर विजय पाई. मृत्यु ने कभी भी शिव को पराजित नहीं किया. इसी कारण उन्हें मृत्युंजय कहा जाता है.
Saturday, February 09, 2013
जागेश्वर धाम अल्मोड़ा
चम्पावत मंदिर, शहर
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण चांद शासन ने करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुंदर है। ऐसा माना जाता है कि बालेश्रवर मंदिर का निर्माण 10-12 ईसवीं शताब्दी में हुआ था।
नागनाथ मंदिर
इस मंदिर में की गई वास्तुकला काफी खूबसूरत है। यह कुंमाऊं के पुराने मंदिरों में से एक है।
मीठा-रीठा साहिब
पूर्णनागिरी मंदिर
यह पवित्र मंदिर पूर्णनागिरी पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर तंकपुर से 20 किलोमीटर तथा चम्पावत से 92 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पूरे देश से काफी संख्या में भक्तगण इस मंदिर में आते हैं। इस मंदिर में सबसे अधिक भीड़ चैत्र नवरात्रों ( मार्च-अर्प्रैल) में होती है। यहां से काली नदी भी प्रवाहित होती है जिसे शारदा के नाम से जाना जाता है।
श्यामलातल
यह जगह चम्पावत से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके साथ ही यह स्थान स्वामी विवेकानन्द आश्रम के लिए भी प्रसिद्ध है जो कि खूबसूरत श्यामातल झील के तट पर स्थित है। इस झील का पानी नीले रंग का है। यह झील 1.5 वर्ग किलोमीटर तक फैली हुई है। इसके अलावा यहां लगने वाला झूला मेला भी काफी प्रसिद्ध है।
पंचेश्रवर
यह स्थान नेपाल सीमा के समीप स्थित है। इस जगह पर काली और सरयू नदियां आपस में मिलती है। पंचेश्रवर भगवान शिव के मंदिर के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। काफी संख्या में भक्तगण यहां लगने वाले मेलों के दौरान आते हैं। और इन नदियों में डूबकी लगाते हैं।
यह जगह चम्पावत से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह खूबसूरत जगह वराही मंदिर के नाम से जानी जाती है। यहां बगवाल के अवसर पर दो समूह आपस में एक दूसरे पर पत्थर फेकते हैं। यह अनोखी परम्परा रक्षा बन्धन के अवसर की जाती है।
लोहाघाट
यह ऐतिहासिक शहर चम्पावत से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान लोहावती नदी के तट पर स्थित है। यह जगह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा यह स्थान गर्मियों के दौरान यहां लगने वाले बुरास के फूलों के लिए भी प्रसिद्ध है।
अब्बोट माउंट बहुत ही खूबसूरत जगह है। इस स्थान पर ब्रिटिश काल के कई बंगले मौजूद है। यह खूबसूरत जगह लोहाघाट से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यह जगह 2001 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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