श्वेताश्वर उपनिषद में शिव को उनके विशिष्ट गुणों के कारण महादेव कहा गया है. हमारे वेदों में प्रकृति तत्वों को जीवन का मूल तत्व माना गया है और अग्नि, जल एवं वायु में देवत्व की प्रतिष्ठा की गई है. वहां भी शिव को रुद्र नाम से प्रतिष्ठापित किया गया है. वैदिक काल से पूर्व भी शिव का अस्तित्व रुद्र रूप से था. शिव कालातीत देवता हैं. वह सदैव लोकमंगल के लिए गतिशील देवता के रूप में जाने जाते हैं. वह किसी विशेष समय अथवा प्रयोजन के लिए अवतार नहीं धारण करते. शिव ही एकमात्र देवता हैं, जिन्होंने सदैव मृत्यु पर विजय पाई. मृत्यु ने कभी भी शिव को पराजित नहीं किया. इसी कारण उन्हें मृत्युंजय कहा जाता है.
Saturday, February 09, 2013
जागेश्वर धाम अल्मोड़ा
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